कविता :🌷ख़ामोश झील

कविता - ख़ामोश झील

कविता :🌷 ख़ामोश झील
कवयित्री : तिलोत्तमा विजय लेले

नादान दिलकी, दिलचस्प खताएं कुछ यूँ होती है
आँख उनसे लड़ी नहीं और दिल उनका हो रहा है…

साजनके सिर्फ़ नाम से, दिल उछल कर उठता है,
उनसे रूबरू होना, बस्स यह ख़्याल भी काफी है…

दिल की धड़कनें तेज हो कर देने लगती हैं सदाएं
तमन्ना बन के, यूँ झूमने लग जातीं कि वो आ जाएं…

उनकी आहट मात्र से ही, ठंडी हवाएं चलने लगी,
और सचमुच पता नहीं कैसे, सदियाँ पल बन गईं…

दिल को सुकून देता है दामन उन सुनहरे-लम्हों का
अंदाज़ा लगाया जा नहीं सकता, सारी खुशियों का…

ऐ चांद, मन-की-गहरी ख़ामोश-झील को यूँ ना छेद...
तू ही गवाह है, प्यार-में-दिलवाले कैसे हो-जातें-क़ैद…

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆

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