कविता :🌷 " उम्मीद, सौग़ात में "
कवयित्री : तिलोत्तमा विजय लेले
प्यार मोहब्बत तो एक जज्बा है, बस होता है…
पर सच में प्रेम निभाते हैं दिलवाले, सौग़ात में…
वक्त से चोरी-चोरी अगर बहारें चुराके ले आएं,
वक्त चालाकी से पतझड़ लौटाता है, सौग़ात में…
ख़िज़ा में भी सूरज का जादू कुछ खास ही है,
चमन में नहीं मनमें गुलाब खिलते हैं, सौग़ात में…
दिल में आरज़ू लिए कईं लोग सपने बुनते हैं,
पर जमाना है कि झोलीमें ग़म डालें, सौग़ात में…
अगर चुपके से कोई ख्वाबों का जहां सजाएं,
न जाने क्यों वहां वीराना सा छाएं, सौग़ात में…
पतझड़ सावन में पत्ता-पत्ता टूट के गिरता है,
पता नहीं कब बसंतऋतु जान डालें सौगात में…
जब परछाई भी छोड़ कर गायब हो जाती है,
फ़िर दोस्त और रिश्तें तन्हाई देतें हैं, सौग़ात में…
चाहत में इस क़दर उलझेंगे के चांद आस्मां में,
और हर रात, हर पल तारें गिनते हैं सौग़ात में…
बस्स पल-दो-पल की चंद खुशियों के खातीर,
ज़िंदगी ग़मों का पहाड़ दे देती है, सौग़ात में…
बड़ी खुद्दार सी होती है ज़िंदगी में पहली यादें,
ले कर आतीं हैं साथ ढेरों मुसीबतें, सौग़ात में…
दिन तो दिन रातें भी रुक-रुक के बिखरती हैं,
पर हर नई सुबह उम्मीद साथ लाएं, सौग़ात में…
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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