कविता - 🌷 ' वादा '
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - गुरुवार, ९ में २०२४
समय - दोपहर, २ बजकर ५० मि.
किस्मत की चंद लकीरें
सदा ही उलझन में डालें ...
कभी सीधी तो कभी टेढ़ी
कभी किसीने नहीं हैं पढ़ीं ...
न जाने दो अंजान से लोग
अपने आप कैसे हैं टकरातें ...
दो ध्रुवों जैसे, बिल्कुल भिन्न
जुड़ के निभाते पवित्र बंधन ...
कल क्या होगा, पता नहीं है
आज़, अपने हाथ में सही है ...
मुश्किलें अगर डराएं-धमकाएं
यह वादा है कदम न डगमगाए ...
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले🙏🕉️🔆
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