
कविता :🌷 " वक्त की सख़्त राहें "
कवयित्री : तिलोत्तमा विजय लेले
ये जो वक्त की सख़्त राहें…
जाने कहां-कहां लेकर जाएं…
कभी तो जी भर के हंसाएं…
फ़िर गहरे ग़ममें तन्हा छोड़े…
गमगीन माहौल में छोड़ दें…
कश्ती डगमग करती जाएं…
आस्मां को छूने वाले इरादे,
फ़िर टूट कर बिखरते जाएं…
चांद भी कहीं छिप कर देखें…
हम कैसे हो गये वक्त के मारें…
वक्त को बदलने में अब भी,
सुबह की एक किरण काफ़ी है…
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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