कविता - 🌷 " एहसान का एहसास "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
सुकून से भरी हुई ज़िंदगी भी उसकी देन है…
यह एक एहसास ही काफ़ी है जीने के लिए…
एहसान चाहें कितना भी छोटा हो या बड़ा…
दिल पे उसका बोझ होता कईं गुना ज्यादा…
दिन-रात उसका एहसास ज़हन में रहता है…
और सचमुच इन्सान उस बोझ तले दबता है…
अगर वफ़ा और वफ़ादारी से काम कर सकें…
तो एहसानका लुत्फ़ उठाते हुए ख़ुश हो पातें…
किसी पर ज़ुल्म ढाने वाला काम है ही बुरा…
पर एहसान भुलाकर जीना सबसे बुरा होगा…
कोई ज़ख़्म दें, तो फ़िर कोई नमक ही छिड़के…
"एहसान का एहसास" कतई कम न हो पाएं…
अच्छे कर्मोंका नतीज़ा, ज़िंदगी यूं संवर जाएगी
पता ही नहीं कब-सुबह, कब सुहानी-शाम होगी…
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆
Leave a Reply