कविता - 🌷" दामन "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
जीवन-भर खुशियों से भरा-पूरा-हो-दामन,
हर कोने-कोने से चहचहाता हो घर-आंगन…
अगर सागर जैसी गहरी कशिश हो दिल में,
सारी-सारी नदियां आती हैं दौड़े-दौड़े मिलने…
जब छोटी छोटी बातों से ही मिलें है सुकून,
तब उसके सामने फीका ही पड़ता है जूनून…
ज़िंदगी में मनकी-गहराइयों-का-दामन थाम,
सुनहरे लम्होंका लुत्फ़ उठाने का नेक काम…
भीगी भीगी मनोहर वादियों के साथ-साथ,
शामका-दामन थामने आया है कौन सम्राट…?
दुनियामें हुस्नका-दामन थामना, हरेक चाहें…
पर हुस्नवाला-मिजाज संभालना कौन चाहें…?
नज़र बचाकर कोई जा सके तो जरूर जाएं…
ख़यालों-के-दामन से बचके कौन कैसे जाये ?
बरसात का मौसम, गीला कर दे सारा जहां…
मन-का-दामन भीगो सकें, ऐसी बारिश कहाँ…?
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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