कविता – 🌷 ” यूं तो “

कविता - 🌷 " यूं तो "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले

यूं तो भीगी भीगी रात बहुत पसंद है
ऊपरसे अगर सतरंगी बरसात भी है,
तो समझो तन-मन भीगा होना ही है ...

यूं तो नीला-नीला आस्मां लुभाता है
ऊपरसे सुनहरे किरणोंसे सूरज आएं,
समझो खुशियोंको चार चांद लगनें है ...

यूं तो हरी-भरी घाटियां बुलाती हीं हैं
ऊपर से झर-झर बहता झरना भी है,
समझो वही सपना बनकर दिखना है ...

यूं तो कोशिश है कि मन, सुशांत रहे
पर है वो इतना नटखट, कभी ना माने,
तो समझ लो वो नादान, भंवरा बना है ...

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


error: Content is protected !!