कविता - 🌷 " कैसे जिये "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - शनिवार, १० ऑगस्ट २०२४
समय - दोपहर ५ बजकर १७ मि.
क्यों अक्सर ऐसा महसूस होता रहता है...
न जाने बिना वजह, क्लेश बढ़तें जा रहें...
हफ्ता-दो हफ्ता, सब-कुछ कुशल मंगल
फिर जैसे ही मौका मिला दंगल-ही-दंगल
कोई बताए कैसे रोकें बार-बार के तुफान
फूल-फूल को छिन्न-भिन्न करे जो बाग़बान
तिनकेका सहारा ढूंढता है चमन हरेक दिन
कैसे जिये कोई मछली, हवा-पानी के बिन ?
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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