कविता - 🌷 " आहट "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - सोमवार, २९ जुलाई २०२४
समय - दोपहर ५ बजकर २६ मि.
दिन तो यूं ही ढल जाता है
पर इंतज़ार अब भी जारी है
चुपके से चांद गगन में आए
आपके आने की आरजू लिए
दिल में उठती है हल्की लहरें
प्यार भरे लम्हों की वो तस्वीरें
मन झूम उठता है उम्मीद लगाए
साथ देते पंछी भी, चहकते हुए
नैनों में सपना बुनके महकती है,
वो आप के आने की आहट ही है...
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆
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