ठुमरी / कविता - 🌷 " बात "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - गुरुवार, ८ सप्टेंबर २०२२
समय - रात के ११ बज के ३३ मि.
बात रही ना जाये
कहीं बात रह ना जाये
उमरिया जाए तो जाये ।। धृ ।।
मन ही मन में खोई खोई
सपना देखे नैना यूं ही
कहीं सपना ना टूट जाये ।। १ ।।
कारी कारी लंबी ये रैना
ले गई मुए दिल का चैना
कहीं निंदिया ना टूट जाये।। २ ।।
उमरिया बीति ही जाये
कहीं यूं ही बुलावा आएं
हाये राम
कहीं यूं ही बुलावा आएं
फिर साथ ना छूट जाये ।। ३ ।।
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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