कविता - 🌷 ' हसीन पल '
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - रविवार, २१ एप्रिल २०२४
समय - दोप्रहर के ३ बजकर ५८ मि.
जिंदगी के कुछ हसीन से पल
आज फिर से आ गये हैं याद...
हर लम्हा जो दिल में समाया था,
नये अंदाजमें फिर सामने आया !
दिलकी धडकने कुछ तेज हुई
पलकें यूॅं ही हैं झुक सी गई...
ये क्या हुआ है पागल मन को,
जो झूम रहा, देखके चांद को !
झोंका हवा का छूंकर गालों को
खुद दिवाना बन के घूम रहा है !
लटों को बिखरा कर चेहरे पर
यूॅं ही छेडखानी क्यूँ कर रहा है ?
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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