कविता - 🌷 " हसरत "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - रविवार, १९ ऑगस्ट २०२४
समय - दोपहर, १२ बजकर १६ मि.
दिली हसरत ये है कि दुनिया देखूं
मेरे हमसफ़र के साथ ही सैर करुं
निसर्ग के प्यारे-प्यारेसे नज़ारों का
हमदम के साथही लुत्फ़ उठाने का
मज़ा कुछ और होगा बहुत सुहाना
हसरत ये कि साकार होवे, सपना
हाथों में हाथ डाले निहारेंगे वादियां
चुरा लें प्यार भरे लम्हों की लड़ियां
चांद सितारोंसे भरे आस्मान के तले
गुमसुमसा समय दिलमें उठती लहरें
छम-छम बरसती, सावनकी वो बूंदें
साजन के मनमें भी उठती हुई उमंगें
ठंडी-ठंडी हवा बालों से इश्क लड़ाएं
मीठी मीठी सी धुन साजन गुनगुनाएं
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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