कविता - 🌷 " हर पल अनमोल ..."
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख- ८ डिसेंबर २०१७
यूँ तो जी लेता है हर कोई ...
अपनी अपनी जिंदगी, खुद-मर्जी से...!
पर अंतमे पछताना पडता है ...
जब फिसल गया समय अपने हाथों से...!
यह समय-समयकी बात है ...
अगर मनकी-आँखे खोल कर देखेंगे,...
सब साफ-साफ नजर आएगा ...
वक्त से पहले ही, सचमुच कैसे जीना,...
स्वयं अंतर-आत्मा, सिखाएगा ... !
डगमगाती जीवन-नैया को पार करायेगा!
मगर झूठ का परदा ओढ कर ...
अगर झूठमूठ की जिंदगी यूँही जीते रहेंंगे,
अंदर बैठा परमात्मा भी मायूस होगा ...!
और चाहते हुए भी, कुछ कर न पाएगा...!
इसीलिए,
बिना वक्त गवाँये, जाग ऐ इन्सान,
अनमोल यह जिंदगी, है सुवर्ण समान ...!
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉🌅
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