
कविता - 🌷 " सौग़ात "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
जैसे नयनों से नयना मिले,
ह्रदय ने दे ही दी दस्तक…
मानो दिल ने देके मंजूरी,
बढ़ती ही गई धक-धक…
आंखों ने दे दी सलामी,
प्यार ने ले ली अंगड़ाई…
तन-मन में हलचल हुई,
यूं बातों-बातों में ही…
रिमझिम करतीं बरसात,
और वो हसीन सी रात…
चांद के साथ थी चाँदनी,
और रात ने ली अंगड़ाई…
पहली-पहली मुलाक़ात में,
उसे, दिल तो दे ही चुके है…
मोहब्बत से लिपटी हुई यादें,
जान हाज़िर है अब सौग़ात में…
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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