कविता - 🌷 " सोचने की बातें "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
कुछ कोशिशें हो साथ ही मनमें थोड़ी कशिश भी हो
फ़िर ज़िंदगी अपनेआप ही संवर जाएगी, समझ लो
कुछ मनकी बातें हो, साथ ही कुछ अनकही बातें भी
तो फ़िर सही समय, किनारे पहुंचेगी जीवनकी कश्ती
कुछ नोंक-झोंक हो, साथ ही कुछ रूठना-मनाना भी
फ़िर ज़िंदगी की मधुरता, दिन-दिन बढ़ती ही जायेगी
कुछ हंसी-मजाक हो, कुछ देश-विदेश घुमना-फिरना
तो फ़िर ज़िंदगी की बढ़ती हुई रौनक का, क्या कहना
हरी-भरी वादियोंमें सैर, उंचे-पहाड़ों-परबतोंकी-चढ़ाई
ईश्वरीय दर्शनकी छबि, प्रकृतिके कणकणमें-बसीं-हुई
कुछ ऐसी साधना हो, साथ ही दिलमें हो सच्ची लगन
तो फ़िर ज़िंदगी बन सके है जन्नत, मग्न होकर तनमन
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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