कविता – 🌷” सुबह “


कविता - 🌷" सुबह "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले

रात का समां, घना-घना सा अंधेरा छाया हुआ
मन का कोना-कोना, आशंकाओं से भरा हुआ…

दिन तो फ़िर भी बीत जाते हैं उम्मीदों के साथ
सूरज ढलने लगता है, संध्या के साथ-ही-साथ…

जीवन से जुड़ी तमाम घटनाओं का सिलसिला
नज़र के सामने से, बार-बार दोहराने का सिला…

क्या सोचा-समझा था और असल में क्या हुआ
बहते पानी की धाराओं जैसे हाथों से फिसलता…

इंतज़ार है कि ये आलम, कब खत्म हो जाएगा
लंबी काली रैना बीतकर सुबह का नज़ारा होगा…

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉🔆

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