कविता - 🌷 " सुंदर-नारी "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - सोमवार, १५ जुलाई २०२४
समय - श्याम को ६ बजकर ११ मि.
हैरान हो जातें हैं, लोगों के ओछे विचारों से
दंग ही रह जातें हैं उनकी नासमझ बातों से
कितनी परेशान होती हैं साँवले रंग को लेकर
जितनी प्रसाधन सामग्री उपलब्ध हैं, लगाकर
बिना सोचे, खर्च करती रहती हैं सारी उम्र भर
स्वयं को दोषी मानें, धनराशि ज़ाया करने पर
रंग चाहें कुछ भी हो, त्वचा सेहत से-भरपूर है
तो चेहरे का नूर बदल कर, सुंदर सा लगता है
आखिर सुंदरता, ये केवल नजर का ही खेल है
ईश्वर ने विश्व को सपने जैसा मनोहर बनाया है
फिर जो जैसा चश्मा लगा कर दुनिया देखता है
वह वैसी ही दुनिया, संसार में हमेशा से पाता है
अच्छाई पाने केलिए स्वयं अच्छा होना है जरूरी
बुराई सीने में छुपा कर कैसे बन सकें सुंदर-नारी
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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