कविता - 🌷 " सीख "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
अगर सच्चे दिलसे कोई भी बंदा सीखना चाहें,
तो सारी-की-सारी-कायनात सिखाने हाज़िर है…
प्रकृति का हरेक घटक गुरु का काम करता है
उंचाईयों को कैसे छूना, लंबे से पेड़ सिखातें हैं…
जीवन में सच्चे रंग भर देना, फूल सिखातें हैं…
कष्टों से उबरने की सीख, कांटों से मिलती है…
मुस्कुराकर जीना-खिलना कलियां सिखाती हैं
मस्तीमें-झूमके कैसे-आयु-बीते पत्ते सिखातें हैं
दूसरों को सहारा देने की सीख, टहनियों से है
सही पोषण करनेकी सीख, वृक्ष की जड़ोंसे है…
उंचे पहाड़ डटकर मुकाबला करना सिखातें हैं
सुख-दुख सब समां लेनेकी सीख आस्मां से है
चराचर-सृष्टिके कण-कणसे अगर हो एकरूपता,
इन्सान को मालूम होगी क्या है सही में मानवता…
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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