कविता – 🌷 ” संकल्प “


कविता - 🌷 " संकल्प "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानीर्भवति भारत।अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं स्रुजाम्यहम्।।
परित्राणाय साधुनाम विनाशायच दुष्कृताम्।।।धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामी युगे युगे।।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस दिन धूमधाम से मनाया जाता है
भगवान श्रीकृष्ण त्रिदेवों में से देवता विष्णु के आठवें अवतार हैं

कृष्ण-जन्म-हुआ भादो महीनेमें कृष्ण-पक्षके ८ वें दिन,गोकुल में
इसलिए त्यौहार को "गोकुलाष्टमी" इस नाम से भी जाना जाता है

द्वापर युग में इसी तिथि पर मध्‍यरात्रि में भगवान श्रीकृष्‍ण जन्‍में थे
बारा बजे रातको भक्त प्रार्थना करते हुए श्रीकृष्ण के भजन गाते हैं

जन्म का जश्न मनाते उत्साह और गहरी भक्ति से सरोबार होता है
हर्षोल्लास-उत्साह से,मंदिरों को फूलों-दीपों-मेहराबों से सजाते हैं

श्रीकृष्ण की रासलीला और दही हांडी जैसे कार्यक्रमों का आयोजन
भगवान कृष्ण की लीलाओं तथा आदर्शों को स्मरण करते भक्तजन

भगवान कृष्ण-जन्म के सम्मान में भव्य झाँकियां निकाली जाती हैं
इनसे सामुदायिक भावना, सांस्कृतिक विरासतका विकास होता है

अपनी आस्था की पुष्टि तथा परिवार,दोस्तों के इकट्ठा होने का समय
खीर,चावल,हलवा,पूरनपोलीका, भोग लगाके आनंद लेने का समय

वो मानवीय पहलुओं के प्रतिनिधित्वके एक जटिल-बहुआयामी देवता
प्रेम, करुणा, चंचलता, शरारतों से, बाधाओं को नष्ट करने की, क्षमता

ये सिखाएं प्रेम,कड़ी मेहनत,सामाजिक संबंध,सद्भाव, कर्म का महत्व
याद देतें हैं, कृष्ण की शिक्षाओं को नित्य पालन करने का प्रमुख तत्व

भगवान ने अत्याचारियों का नाश किया, लोगों को सही मार्ग दिखाया
उनका जीवन इस बात का प्रतीक कि सच्चाई की जीत होती है,हमेशा

महाभारत में खुद भूमिका निभाई,भगवद्गीता में अर्जुन को दिया उपदेश
भगवद्गीता में उन्होंने कर्म, धर्म तथा भक्तिके साथ ज्ञान देके दिया संदेश

हमें अपने कर्मों के फल की चिंता किए बिना ही कर्तव्य निभाना चाहिए
हमें कर्म, धर्म और भक्ति-मार्ग पर ही, सदा के लिए चलते रहना चाहिए

इस बात का प्रतीक है कि ईश्वर हमेशा हमारा मार्गदर्शन करते रहते हैं
वे हमें बाधाओं को पार करने तथा आध्यात्मिक उन्नतिमें मदद करते हैं

ये हमें भक्ति, प्रेम, धर्म तथा न्यायके रास्ते पर चलने की प्रेरणा देतें हैं
जन्माष्टमी पर कृष्ण के बताये रास्ते पर, चलने का हम संकल्प लेतें हैं

कृष्ण का जीवन प्रेम, साहस, निस्वार्थता का जीता-जागता प्रतीक है
उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं,हमेशा से ही करेगी

हजारों सालों के बाद भी उनकी दी हुई शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं,
सब को पूर्ण-सार्थक-जीवन-जीने केलिए मदद स्वरूप काम करती हैं

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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