कविता 🌷’ संकट-मोचन-हनुमान ‘
कवयित्री : तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख : शनिवार २ डिसेंबर २०२३
समय : शाम ७ बजे
जो भी बन्दे आते, शरण तुम्हारे
सुरक्षा और ज्ञान झोली में हैं पाते ||
दया के महा-सागर, हे पवन-पुत्र
शक्ति-बुध्दी-भक्ती ये जीवनके सूत्र ||
महासागर लांघें, लंका ढूंढने के लिए
महापरबत उठाया जड़ी बूटी के लिए ||
छोटा हो या बड़ा, राजा हो या रंक
भक्तों के शत्रुओं का करे बेड़ा गर्क ||
संकट-मोचन है सच्चा नाम तिहारा
पूरे त्रिभुवन में गूंजता है जयकारा ||
रामचन्द्र की भक्ती में सदा ही मगन
विराट रूप लिये, किया लंका दहन ||
सूक्ष्म रूप धारण, कर दिया कमाल
लंकापति सोचें, क्या है ये गोलमाल ||
अचंबित लंकावासी देखते रह गए
कौन है ये जादूगर, सोचने लग गए ||
हवाके झोंके जैसा, नज़र ही ना आए
काम सब निपटाकर ओझल हो जाए ||
भक्तों के संकटों को दूर दूर तक भगाएं
संकट-मोचन नाम से ही पहचाना जाए ||
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆
Leave a Reply