कविता -🌷 " शुभता "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। 🕉️
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
ॐ यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥ 🙏
निर्गुण निराकार, अनादि अनंत है एकमात्र विकल्प ईश्वर
षड्रिपुओं से पीड़ित मनुष्य का शरीर ही है मात्र एक नश्वर
भारत विविधता से भरा, कईं क़िस्म के त्योहारों का देश
त्यौहार भी देते हैं भारतीय संस्कृती का महत्वपूर्ण संदेश
त्योहारों में अपने-आप झलकती है सांस्कृतिक विरासत
हर एक त्योहार की होती है अपनी-अपनी एक खासियत
ईश्वर अपार-असीम, महान शक्तिमान, अविनाशी-सत्यता
वो समय-स्थान से परे, ब्रह्माण्ड के पालनहार- सृजनकर्ता
भाद्रपद मास के चतुर्दशी को कहा जाता है अनंत चतुर्दशी
इसी चतुर्दशी के दिन भगवान श्री गणेश की, विदाई होती
श्रीगणेश-उत्सव का समापन तथा गणेश-मूर्ती का विसर्जन
भगवान गणेश करतें भक्तों के कष्टों-बाधाओं का परिमार्जन
मान्यताओं के अनुसार विष्णु हैं १४ लोकों के निर्माण-कर्ता
१४ रूपों में अवतरित हुए हैं, इसिलिए अनंत-रूप-प्रतीकता
अनंत चतुर्दशी का दिन, भगवान के अनंत प्रतीक को समर्पित
साथ-ही-साथ सुखकर्ता दुखहर्ता ज्ञानी गणेश होतें है विसर्जित
वेदांत के अनुसार, "अनादि, अनंत, अखंड, सच्चिदानंद-सत्ता"
वाक्यांश में प्रयुक्त अनंत शब्द है, एकल, अद्वैत, वास्तविकता
परमेश्वर अनंत काल से अनंत काल तक सदैव है अपरिवर्तनीय
इसलिए अनादि अनंत कालातीत ईश्वर-तत्व है, सदा ही वंदनीय
" अनंत-सूत्र " बांधने से प्राप्त भगवान विष्णु की कृपा-कृतार्थता
शिव-शक्ति के पुत्र गणेश के आशीर्वादों से मिले जीवन में शुभता
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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