कविता : 🌷 ‘ वक्त ऐसा बदला ‘

कविता : 🌷 ' वक्त ऐसा बदला '
कवयित्री : तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख : मंगलवार, ४ जून २०२४
समय : रात, ७ वाजून ५७ मि.

ये कहां आके रुक सी गई है ज़िंदगी
ये अमावस की रात कब खत्म होगी

रोशनी देता हुआ सूरज डूब चुका है
अब काली-काली रजनी का राज है

सुंदर,मन को मोह लेने वाले कहां हैं
अब-भी वह खुशबू हवा में मौजूद है

फिर वो सुख के सुनहरे पल कहां गए
मानो कोई आहट सुनकर यूं भाग गए

अंबर तारों से भरा हुआ अब नहीं है
चहू ओर से घना कोहरा डरा रहा है

अब वक्त ऐसा बदल गया, पता नहीं
अब सायें भी साथ चलने, तैयार नहीं

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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