कविता - 🌷 " लेन-देन "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - शनिवार, २१ जुलाई २०२४
समय - दिन के १२ बजकर ६ मि.
जब तक सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा होता है
इन्सान को ईश्वरीय भक्ति याद तक नहीं आती
लेकिन जैसे ही मुश्किलें सामने से आ जातीं हैं
सब से पहले बंदे की याददाश्त सुधर जाती है
राह टेढ़ी कर, मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारा पहुंच के
माथा टिका कर, मन्नतें मांगने में थकता नहीं है
भगवान को भिन्न-भिन्न चीज़ो से वश करने में
सारा-का-सारा समय बीता के निश्चिंत होता है
एक तरफा ही सही, करारनामा तो हो चुका है
समझता नहीं है पागल सबकुछ तो उसी का है
जन्म से लेके ज़िंदगी की हर सांस उसकी देन है
ईश्वर से कैसी लेन-देन, सारा संसार जिस का है
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆
Leave a Reply