कविता - 🌷 " लगाव "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - सोमवार, ५ ऑगस्ट २०२४
समय - दोपहर ३ बजकर १९ मि.
कुछ दिन पहले कुछ अच्छा पढ़ने में आया
लेख पढ़कर मन में दिलचस्प ख़याल आया
किस्मत नहीं, बंदे की सोच मायने रखती है
सही सोचने वाले, गलत पथ पे जाते नहीं हैं
समुंदर तो सबके लिए, बस एक जैसा ही है
पर किसीको उसमें से, सुंदर मोती मिलते हैं
तो किसी और को ढेर सारी मछली मिलतीं हैं
किसी अभागे को शंख, सीपी, ढांचे मिलते हैं
इतना ही नहीं किसीको सिर्फ रेत ही नसीब है
कोई बंदा पैरों तले पानी मिला, तो भी खुश है
ज़िंदगी तो सब के लिए लगभग एक समान है
हमें शायद वो मिलता है, जो हम ढूंढते रहते हैं
अगर विचार सही हैं, वो सही दिशामें ले जाएंगे
भटके-धुंधले-विचार, भ्रमित अवस्था में डालेंगे
इसलिए अच्छे के प्रति लगाव रखना है जरूरी
वरना, "बुरी किस्मत" ये बहाना बनेगा मजबूरी
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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