कविता - 🌷 " रुमझुम रुमझुम "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - सोमवार, २४ जून २०२४
समय - श्याम ६ बजकर १२ मि.
रुमझुम रुमझुम, बरसें आज सावन
याद आएं पिया री सावन-मनभावन
जमुना तटपे कान्हा पुकारें राधा-नाम
गोप-गोपीसंग-रास मगन-गोकुलधाम
राधा भई बावरी पनिया में छोड़ गगरी
राधा-राधा नाम बोले सांवरे की बांसुरी
ठंडी-ठंडी पवन चली, छेड़ के चुनरिया
भीगी-भीगी सजनी, ढूंढ रही सांवरिया
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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