कविता - 🌷 " ये जिंदगानी "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - रविवार, १४ जुलाई २०२४
समय - रात के १० बजकर ५८ मि.
चुनौतियां तो जिंदगी का मानो दूसरा नाम है
वे साथ निभाने, सदा ही दौड़ी चली आती हैं
कदम-कदम पर कांटे बिछाने में वे माहिर हैं
इसलिए बंदे को चाहिए हमेशा ही तैयार रहें
न की शिक़ायतें करने में वक्त जाया होता रहें
इस संसार में संघर्ष-बिना, जीवन असंभव है
इसलिए जब तक जिंदगी है, संघर्ष भी होगा
बिना संघर्ष, जीवन मानो नमक बिना खाना
नहीं खाया जायेगा, ना वह पसंद भी आएगा
ना वो खा कर पेट भरेगा न संतोष भी मिलेगा
देखा जाए तो इतनी छोटी सी है ये जिंदगानी
भले थोड़ी कठिन ही सही पर है तो वो अपनी
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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