कविता - 🌷 " यादों का सिलसिला "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - मंगलवार, २ जुलाई २०२४
समय - रात १० बजकर ५९ मि.
ये ठंडी-ठंडी हवाएं यूं छूं कर गई
दिल में लाखों उमंगें जगाती चलीं
फिर वो यादें जो भीतर छिपी हुई
तस्वीर बन कर नैनों के आईने में
जल धाराएं बनकर बहती रह गई
याद आई हसीं वादियां बुलाती हुई
साजन संग बिताए प्यारे पलों की
पहलगाम के उन सुनहरे लम्हों की
शादी के दुसरे दिन पहुंचे कश्मीर में
यकीन नहीं था, सपना है या सच में
हनीमून के दिन यूं बीते पता न चला
सीने में है सिर्फ यादों का सिलसिला
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले ✅
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