कविता - 🌷 ' मायूस आज '
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - बुधवार, १६ एप्रिल २०२४
समय - दोपहर, १ बजके २७ मि.
दिन तथा रात भी हो गये धुवां-धुआं
खुद ही का नजर न आ रहा है साया
बेरंग सी लगने लगी है अब ये जिंदगी
नसीब में शायद, तन्हाई लिखी होगी
क्या मैने सोचा था, और क्या है पाया
आत्मा तो चली गयी रही सिर्फ काया
पता नहीं था, आज इतना मायूस होगा
होंठों से हंसी छीनी, उदास सारा जहाँ
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले🙏🕉️🔆
Leave a Reply