कविता - 🌷 " मर्यादा का पालन "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - बुधवार, २४ एप्रिल २०२४
समय - ४ बजकर २४ मि.
प्रकोप भी कई कई किस्म का है होता
ज्यादा प्रदूषण से होता है प्रकृति का
अधिक भव-ताप से होता, मनुष्यों का
अधिक वर्षा होने के कारण नदी का
हरेक की सहने की, निश्चित है सीमा
तय करती है शांति का होना न होना
सहने की परिसीमाओं को गलती से,
अगर लांघने की कोई जुर्रत करते हैं
तो प्रकोप से हानी होना स्वाभाविक है
हर मर्यादा का पालन, बेहद जरूरी है
लक्ष्मणरेखा लांघके सीतामैया पछतायी
रामायण नहीं होता अगर सीमा में रहेती
सीमा का उल्लंघन हानिकारक होता है
सीमा को ना लांघना ये, बहुत जरूरी है
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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