कविता – 🌷 ‘ मन और मनमोहन ‘ तारिख – १७ जानेवारी २०२४


कविता – 🌷 ‘ मन और मनमोहन ‘
कवयित्री – तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख – १७ जानेवारी २०२४
समय – दोपहर के १ बजके ४४ मि.

‘मोह’ को दूर करनेवाले, हे नन्हे-प्यारे से “मोहन”
आप से बढकर हम मानवों को, समझेगा कौन ?

आप ने दिया है हमें उच्च ज्ञान-श्रीमद्भगवद्गीतासे …
जीवन सफल हो सकता है, उसी राह पर चलनेसे …

सच्ची राह दिखायी की मन में सदा हो दृढ़ निश्चय …
मनुष्य फिर दुबारा जन्म नहीं लेगा, ये बात है तय …

मोह, माया, ममता, धन-दौलत, यें साथ नहीं आते …
जिंदगी में यें ही सब, जाल बिछाये हमें हैं बहकाते …

छलावे से ही दुनिया, लगने लगती है बड़ी रंगीनसी …
मन से मोह का पर्दा उठ जाने पर, लगती यथार्थसी…

मन-मोहन बंसी बजाए, चहुं-ओर खुशीयां बिखराएं …
जीवन-धारा, राधा बनकर सदा उनका साथ निभाएं !

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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