कविता - 🌷 " भक्त-प्रल्हाद "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
भक्त-प्रल्हाद की जीवन-कहानी,
लोगोंने जरूर होगी पढी या सुनी ...
प्रल्हादके-पिताने पूरी कोशिश की ...
हर-एक-जगह भगवानको ढूँढनेकी ...
तलाश करते-करते, सारा-का-सारा ...
खुदका राज-महल, स्वयं छान मारा ...
थक गये, राजाके सब नौकर-चाकर ...
दानव-राजाने फिर भी ना मानी हार ...
राक्षस-राजाने बेहद क्रोधित हो कर,
स्वयं के पुत्र-बालक भक्त-प्रल्हादपर,
ज़ोर से तपता तेल कढाईसे फेंककर,
उसे कोडे मारकर, ढाँए जुल्म हजार ...
टससे-मस न हुआ, नन्हासा-प्रल्हाद ...
भगवानने भी स्वयं बचाया हरेकबार ...
जो पूरी निष्ठा से करें ईश्वर की भक्ति ...
उसको बचाने वो स्वयं ही आते धरती ...
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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