कविता - 🌷" बेहद जरूरी "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
पहले, अच्छे-चुनिंदा बीज-बो-देना बेहद है जरूरी
तभी जाके भविष्यमें मीठे-फल, ठंडी-छांव मिलेगी
पहलेसे मेहनत-की-बरसात करना, है बेहद जरूरी
तभी जाकर सफलता के फसल की, सिंचाई होगी
पहले से खुद की औकात बनानी, बेहद है जरूरी
तब जाके दुनिया भी झुक कर सलाम करती होगी
बंदा सोचता है जब पैसा आएगा, तब काम बनेगा
सच्चाईसे जो भी सत्कर्म-करेगा, वो ही धनी बनेगा
पहले सालों-सालका घमंड छोड़ना, है बेहद जरूरी
तब जाकर दुनिया-की-अच्छाई, समझमें आ सकेगी
मन-का-कोना-कोना, साफ़-सुथरा-करना बेहद जरूरी
तभी ईश्वरीय-ज्ञानकी-संवेदना, तनमनमें जागृत होगी
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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