
कविता - 🌷 " बेताब दिल की ख्वाहिशें "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
कुछ आधी-अधूरी बेताब दिल की ख्वाहिशें
कुछ देखें- अनदेखें वो आधे-अधुरे से सपनें…
आधी-अधूरी यादों की वो बेवजह सी कसक
कुछ दिलचस्प सी मन की फैलती गई महक…
कभी झूमता हुआ, कभी गुमसुम सा, चंद्रमा
शीतल-शांत-पवन आधा-अधूरा रातका-समां…
नदियां नजर अंदाज करके युगों का समर्पण
पहाड़ों तथा झीलों से बांट देती हैं अधुरापन…
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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