
कविता - 🌷" बेतहाशा चाहत "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
ये हरी-भरी पहाड़ी वादियां...
यें कल-कल करती नदियां...
सदा ही मन को लुभाती हैं...
नीला-नीला गगन का समां...
दिल को बहलाता ये झरना...
यहां से हटने का नाम ना ले...
मिलों तक हरियाली छाई हुई
नैनों को देती ठंडक, अनोखी...
मन-ही-मन में, प्यार बरसाती...
ये बेतहाशा चाहत, क्यूं होती है...
दुनिया में जहां-जहां सुंदरता है,
बिना-डोर दिलमें खिंचाव सा है...
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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