कविता :🌷’ नैया पार ‘
कवयित्री : तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख : १५ ऑगस्ट १९९५
वेळ : ७ वाजून ५२ मि.
तेरा मेरा ये नाता
टूटेना पलभर विधाता
सदा अपना ये जीवन
रहे तेरे चरणों में दाता || ध्रु ||
जिये पल-पल
हम सब तेरी
आस पर विधाता
नाम तेरा दीपक बन कर,
राहें हमें दिखाता || १ ||
हम से यूं ही भूल हुई तो
तेरी शरण में हम आतें
साथ तेरा अगर मिल जाये,
जीवन सफल हो जाता || २ ||
कर के सुमिरन
हर रात और दिन
भूले न इक पल ओ दाता
नाम तेरा तारक बन कर,
नैया पार लगाता || ३ ||
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆
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