कविता – 🌷 ” नादान दिल ” 

कविता - 🌷 " नादान दिल "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - शनिवार, ६ जुलाई २०२४
समय - रात १० बजकर २३ मि.

कैसे कोई ऐतबार करें
जो मन भंवरा बन फिरें

फूल फूल, डालीं डालीं
मानो खेल रही है होली

पंछी चहकते चमन में
ख़ुशी की उठती है लहरें

चांद सूरज धरती अंबर
मानो नाच रहें ताल पर

चोरी चुपके हल्के हल्के
दबे पांव से दिल चुरा के

मीठीमीठी धुन बजा के
ये कौन, मुस्कुरा रहा है

मन तो तितली बन कर
कब चला गया उड़ कर

अब कैसे, कोई समझाए
नादान दिल फिसल जाएं

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆

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