कविता – 🌷 ‘नटखट‘
कवयित्री – तिलोत्तमा विजय लेले
तारीख – ९ सप्टेंबर २०१९
समय – ९ बजकर ३५ मि.
ये झिल-मिल करते तारे,
मुझे याद क्यूँ हैं दिलाते
ये दिन नहीं रात है प्यारे
ये समां साजन को पुकारे
सो गया है सारा जहां,
तू क्यूँ जागे गम के मारे
चांद भी चुपके-चुपके से
कर रहा है अजब इशारे
निंदीया कैसे आए नैनों में
सपने सुहाने देख कर झूमे
बन्सी बजाए बुलाए सांवरे
राधा के झांझर चुप न रहे
कारी-काही रात जमुना-किनारे
सुध-बुध खोयें दो नयन बावरे
दिवानी बनके तक-तक निहारे
नटखट नन्ही सी पानी की लहरें
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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