कविता – 🌷 ” दिल ढूंढता “

कविता - 🌷 " दिल ढूंढता "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - सोमवार, २४ जून २०२४
समय - रात के ९ बजकर ४१ मि.

वो ऐसे गयें की मन में उदासी छाई
वो जब थें तब किसी ने कदर न की

अब पछताने से कुछ नहीं है हासिल
अब दुःख भरे बादल हों गये कातिल

अब बारिश का मौसम, बारह मास है
कभी आस्मां से बरसें कभी आंखों से

यादें झूला बनाए झूमती हैं हरेक पल
सादगी उनकी याद आती, हरेक पल

दिल पंछी बन कर गगन में उड़ता है
मानो जाने-अनजाने में उन्हें ढूंढता है

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆

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