कविता -🌷" दिल, एक मंदिर "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
उनकी बस्स याद काफ़ी है महसूस करने केलिए,
ज़िंदगीमें रौनकें, हर-पल तन-मनमें खुशीकी लहरें…
आंखों से नींद, उनके साथ चुपके-चुपके चल दी
दिल में सुकून-भरा-एहसास ही, लगता है काफ़ी…
एहसास है इतना गहरा, की दर्पण भी धोखा दें
अब मानो नयन ही आईनेका काम करने लगे हैं…
अगर अपने एहसासपे कभी बर्फ़ जमने ही न दें,
तब सारे-सारे जज़्बात, बड़े दिलचस्प से लगते हैं…
दिल में एहसास जाग जाएं, एक-दूसरे के वास्ते,
फिर जिंदगी का सफ़र कट जाएगा हंसते-हंसाते…
ईश्वरका एहसास हर पल, हर सांस में झलकता है
फ़िर अपने आप हर दिल, एक मंदिर बन जाता है…
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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