कविता – 🌷 ‘ दर्शन ‘
कवयित्री – तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख – बुधवार, ८ नोव्हेंबर २०२३
समय – १० बजकर १० मि.
कल सपने में पधारे बाल गजानन
ओंकार रूप में पाया उनका दर्शन
बरसातमें छाता लिये निकले वो घूमने
खडे-खडे लगे, पैरों से पानी उछालने
पीठ पे बस्ता, चले पाठशालामें पढ़ने
अपनी धुनमें मगन मस्त हो कर झूमने
नन्हीसी सूंड और चेहरेपे प्यारी मुस्कान
हाथमें पकडे मोदक, बडे-लंबे हैं कान
रूप है निख़रा-निख़रा, तेज सूर्य-समान
खुशीकी लहर जो सीधी पहुँची आस्मान
बाल गणेश करते हैं नर्तन-गायन-वादन
झूमने लगते सब राजा-प्रजा-मूषक-वाहन
वेद-शास्त्रों का है उन्हें पूरा-पूरा ज्ञान,
बुद्धि से ही करते हैं वो हर-एक काम
महादेव और गौरीके वो हैं लाडले नन्दन,
बडे उनके ठाठ हैं, त्रिलोक करते सम्मान
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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