कविता - 🌷 " झील की पनाहों में "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
वास्तव में प्रकृति की हर एक झलक में
प्यारा अजब गजब संसार भरा जादू है…
ऋतु-राजा बसंत ऋतु, दुल्हन लेके आएं
धरती बनी दुल्हनिया-हरियाली-चुनर-ओढ़े
पत्ता पत्ता बूटा बूटा झूम उठता मस्ती में
साथ में एक दूसरे को थामे वो ख़ुशी में…
रंगीले से मौसमी रंग, सचमुचमें शौक़ीन है
ठहरते है कि बस, कुछ वक्त यूं गुज़र जाए…
प्यारे-दुलारे-रंगीले-पंछियोंका अद्भुत गान
असल में बेहतरीन सा सृष्टि का ये वरदान…
बड़े बड़े उंचे से पहाड़ों-पर्वतोंकी बाँहें थामें
बादलों के घने कोहरे है बिल्कुल ही साथमें…
ऐसा लगे मानो राहतें भी, यहीं बस जाती हैं
नीलमसे नीले नीले रंग, झील की पनाहों में…
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆
Leave a Reply