
कविता - 🌷" जुनून "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
इन्सान को जिंदा रखता है उसका जुनून
बंदे की
जिंदगी से, अगर जुनून ही निकाला जाय
फ़िर बचता ही क्या है, सिर्फ खोखलापन
मुर्दे की
भांति जिंदा लाश बने ढोता रहता है, तन
जूनून कईं तरह से, असर करें तन-मन पर
दिन की
शुरुआत से लेकर ही, राज करे सपनों पर
मंज़िल कोई भी हो, रास्ते हो चाहे टेढ़े-मेढ़े…
हौसलों में
अगर होगा दम, फ़िर डर कैसा फासलों से…
बेमिसाल हौसलों का जुनून चट्टानों से लड़ा
हाथों की
लकीरोंसे बेहतर, मजबूत इरादों से भी बड़ा
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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