कविता - 🌷 ' जी भरके जी लो '
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - सोमवार, १३ मे २०२४
समय - दोपहर, २ बजकर १ मि.
खिलते कमल के कली जैसी मासूमसी जिंदगी
बच्चों की खिलखिलाती हंसी जैसी खुबसूरती
सुबह सुबह उगते सूर्य किरणों जैसी रंगीन सी
कल-कल बहती हुई नदी जैसी जीवन-दायीनी
जिंदगी के विभिन्न अंगों से बहती ऊर्जा जैसी
सुशांत, शितल, स्थिर झीलों जैसी मनभावन
कभी आस्मान में इकट्ठे हुए घने बादलों जैसी
कभी झर-झर झरते झरनों की तरह चंचलसी
माना कि जिंदगी है बुलबुले के -जैसी उसको,
खूब हँस कर मस्ती में हर पल जी भरके जियो!
जितनी भी खुशीयाँ समेट सको दामनमें भरलो
किस को क्या पता किस पल पे नाम लिखा हो
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले🙏🕉️🔆
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