कविता – 🌷” जिंदादिली “


कविता - 🌷" जिंदादिली "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले

सचमुच में ज़िंदगी जीना ही जिंदादिली है
वो ही जन्नत है, जो जीते जी मिल सके है...

ज़िंदादिल वो बंदा, जिसके सीनेमें दिल है
ऐसा इन्सान की जो कतई खुदगर्ज़ नहीं है...

किसी और के दुखों से, खुद दुखी होता है
मन ही मन दुसरे का दर्द महसूस करता है...

और लोगों को बेहद ख़ुश होते हुए देखकर
बिना जलन, खुद भी सचमुच खुश होता है...

किसी संकटग्रस्त पीड़ित की, पुकार सुनके
बिना झिझके वह सहायता करने दौड़ता है...

जीवित होते हुए, जिंदा लाश बने फिरते हुए
अनगिनत लोगोंमें हैं कुछ जिंदादिल गीने-चुनें...

ऐसे ज़िंदादिल लोग, अगर नहीं होते धरती पे...
पूरी कायनात की, रौनकें भी फिकी पड़ जाए...

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉🔆

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


error: Content is protected !!