कविता - 🌷 " जादू "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - सोमवार, २९ जुलाई २०२४
समय - दोपहर ४ बजकर २८ मि.
याद आते-आते फिर ले उड़े मेरे मन को
बचपन के यादगार लम्हें लुभायें सब को
मासूमियत से भरा हुआ हर पल हर दिन
बड़ी-बड़ी आंखें निहारें, सितारे गिन-गिन
सपनों के साथ-साथ, सवाल खड़े मन में
चंचल मन भुलें सबकुछ मिलें तो खिलौने
लाड़ प्यार, खेल कूद में गुज़रा लड़कपन
पता न चला क्यों और कहां गया बचपन
जो मुठ्ठी में बंद है उस की चाहत कम नहीं
पर जो ज़माना गुज़रा वो मन से मिटा नहीं
मानो मस्त पवन पे सवार वो आस्मां में है
कोई जादू करके मुझे फिर से छोटी बनाए
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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