कविता :🌷 " जल-संस्कार "
कवयित्री : तिलोत्तमा विजय लेले
कारी कारी कारी, घटा जब जब छायी…
मानो अंबर में कोई बजा रहा है शहनाई…
सन-सन-सन करती चली, पवन पुरवैया…
उमड़-घुमड़के बज रही शरारती बद़रिया…
कड़-कड़-कड़ करती चमचमाती बिजली,
झर-झर-झर पानी की, बूंद-बूंद यूं उछली…
रिम-झिम रिम-झिम धारा, पानी की गिरें…
मानो खुशी-खुशी धरती मैया यूं मांग भरें…
सावन-भादोने प्यार भरा संदेश भेज दिया,
तब निकली खूबसूरतसी बरखा दुल्हनियां…
यूंही समेट लिया है, साजन-सजनी ने संसार
पृथ्वीपे आया है मौसम, करने जल-संस्कार
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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