कविता - 🌷 ' छूं ले आस्मान '
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - रविवार, २१ एप्रिल २०२४
समय - दोपहर, २ बजकर ३२ मि.
बचपन से लेकर बुढापे तक
हम करिबी रिश्तों को बस्स,
पूर्वगृहीत समझकर जी लेते हैं...
चाहतें हैं की हर कोई हमें समझें
हमारी अपेक्षांए और जरूरतें
हमेशा ही महत्त्वपूर्ण समझें...
छोटे भाईसे रखते हैं अपेक्षा,
स्वयंका हर लब्ज, माने आज्ञा
जरूर उसपर तुरंत अमल करना...
सदा बर्ताव रखे प्यारा-आनंदभरा...
अगर बहन हो बडी, तो अपेक्षा...
माँ-जैसे करे लाड-प्यार-दुलार...
ममताका भावभी हो माँ-जैसा...
गलती को चुटकीमें माफ़ कर,
सदा अपनाए सहनशिलता...
अगर बहन छोटी हो, तो अपेक्षा...
बच्ची-जैसा हो चाल-चलन,
मान-सम्मान करे बडोंका,
जीतकर सब-जनका मन,
प्यार जताए, जो छूं ले आस्मान...
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले🙏🕉️🔆
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