कविता - 🌷 " खुमारी, अधूरेपनकी "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
तारिख - सोमवार, २२ मे २०१७
कभी-कभी, हलकासा यूँ अधूरापनभी
ज़िन्दगी के लिये होता कुछ कुछ जरुरी ...
हलकीसी खुमारी जो होती है कमालकी
बढाती जिंदादिली उन यादगार लम्होंकी
मनुष्य प्राणीयोंकी, अलग-अलगसी प्यास
सारी धरती तनहा, सिर्फ बारिश की आस
अधीर तनमें, बेकाबू प्यास होती हे मनकी
गर्मीयोंसे बेहाल प्यासे पशुओं, पंछीयोंकी
एक अधुरी जिंदगी है आधी-अधुरी कहानी
अनोखी-अधुरी चाहतें, एक प्यासी जवानी
अधुरासा कोई एकाध सुंदर प्यारा पल भी
सफल बनाता है किसीकी एकाकी जिंदगी
अधुरेपन की भी अलगसी अजीब मिठास
जिसने महसूस की, बुझ गई उसकी प्यास
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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