कविता – 🌷 ” ख़यालात “


कविता - 🌷 " ख़यालात "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले

पानी की लहरों जैसे दिलमें उठे हुए जज़्बात
तब मन ही मन के कुछ अजीब-से ख़यालात

ख़ुशियों के लम्हों में, दिल बार-बार ढूंढता है
दिल-ही-दिल में गहरा सा ये एहसास होता है

हर वक्त झलक जाता है, मौसम सा मिज़ाज
हंसते-हंसाते-मजाक में, ख़त्म हो सारे विवाद

गिले-शिकवे भुलाकर, मुस्कुराने का नेक काम
चाहे जैसा भी करें, अच्छा ही होता है अंजाम

सच्चा-झूठा ख़ौफ़, दुंग दबाकर भाग जाता है
और ख़ुशहालीका सुनहरा रंग, यूं छा जाता है

जब-जब जीवन में, दिल से दिल मिल जाते हैं
सारे गिले-शिकवे अपने आप ही, मिट जाते हैं …

🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
🙏🕉️🔆

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