
कविता - 🌷 " काश "
कवयित्री - तिलोत्तमा विजय लेले
काश मुस्कुराकर आती होगी हर सुनहरी सुबह
खुशियों को ही आगाज़ करनेवाली हर दोपहर…
सदा सुकून की परछाइयोंमें ढलनेवाली हो शाम
आस्मां तक फैली हुई रंगीन सपनों सी हो रात…
हर रोज़ हसीन चेहरे जैसा हो जीने का अंदाज़
ज़िंदगी यूं बीते की लगें कोई खुशनुमा सा साज़…
आजका यह सूरज फ़िर कभी ढलना ही न चाहे
साजन संग बिताए हुए वे लम्हें, ख़त्म न हो पायें…
किस्मत से मिले हुए हसीन पलोंका अंत न होवे
काश ऐसा हो कि समय का दामन कभी न छूटे…
🌷@तिलोत्तमा विजय लेले
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